24x7 चैनलों के
हो जाने से
खबरों का अकाल
पद गया है,
उन्हें समझ मे
ही नही आता
की दिन भर
के खुली हुई
दुकान पर क्या
क्या दिखाएँ ! तोते
उड़ाना, कौवा लड़ाना,
किसी बयान को
तोड़ मरोड़ कर
लंबा खींच देना
, अर्थ का अनर्थ
बना देना !
लेकिन
आज जो किया
वह बहुत ही
असंवेदनशील था ! चेन्नई
बाढ़ मे फँसे
लोगों तक सहायता
पहुँचा रहे नेवी
के ऑफिसर्स की
निष्ठा पर ही
सवाल उठा दिया,
एक पत्रकार ने नेवी चीफ़ से ही पूछ दिया नेवी में भी 'असहिष्णुता' फील
हो रही है कि नहीं ! इसके उत्तर मे नेवी चीफ़ को कहना पड़ा कि सेना मे असहिष्णुता नामक
बीमारी अभी तक लगी नही है !
तनिक
विचार कीजिए कि
कहीं अगर सेना
मे धार्मिक असहिष्णुता
आ गई तो
क्या हो सकता
है ? क्या इस
कथित असहिष्णुता से
पहले सेना ने
कहीं भी रेस्कयु
ओपरेशन नहीं किया
जाति-धर्म, उम्र,
लिंग भेद किए
बिना देश की
सेना ने हर
आपदा , चाहे वह
देश की सीमा
पर आई हो
या देश की
सीमा के भीतर,
उम्मीद से बढ़कर
लोगों की सेवा
की अपनी जान भी देकर ! उत्तराखंड मे केदारनाथमे आई बाढ़मे सेना औरएन डी आरएफ के कईजवान शहीद होगये ! क्या इन
क्षुद्र पत्रकारों को अभी
भी इनकी निष्ठा
पर कोई शक
है !
दूसरी
घटना भी चेन्नई
बाढ़ से ही
संबंधित है ! देश
की राष्ट्रीय मीडीया
अपने चैनलों पर
बढ़ की रिपोर्टिंग
तो कर रहे
हैं , मगर जनता
को गुमराह भी
कर रहे हैं
, वास्तविक स्थिति को दिखाने
के बजाय TRP बढ़ाने
का
खेल खेल रही
हैं ! चेन्नई की
वास्तविकता दिखाने के बजाय
शिकागो मे आई
बाढ़ की तस्वीरें
दिखा रहे हैं
! बैंगलोर एवियेशन को बयान
जारी करके यह
कहना पड़ा की
देख की मेन
स्ट्रीम की मीडीया
खिलवाड़ कर रही
है लोगों की
भावनाओं के साथ
!
ऐसे
कृत्यों से वे
अपनी विश्वसनीयता समाप्त
नहीं कर रहे
! विचार ज़रूर कीजिएगा !!!
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