गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

बिहार के बेटा , बिहार की बेटी

मैं बिहार बोल रहा हूँ , आज कल मुझे कुछ लोग बदनाम करने की कोशिस कर रहे हैं सिर्फ़ चंद वोटों की खातिर ! देश विरोधियों और आतंकवादियों को वोट के लालच में या स्व-स्वार्थ सिद्धि के चक्कर मे महिमा मंडित कर रहे हैं , उन्हें बिहार का बेटा या बिहार की बेटी बता रहे हैं ! यह सच्चाई नहीं है , मुझे मेरे बेटे और बेटियों पर फख्र है लेकिन उनपर नहीं जो इन दिनों चर्चा मे हैं ! मेरे बच्चों के बारे मे जानना हो तो इन नामों को देखो :

आर्यभट्ट, गौतम बुद्ध, महावीर , अशोक, चाणक्य , चंद्रगुप्त , गुरु गोविंद सिंह, शेर शाह सूरी , वीर कुंवर सिंह , बाबू कुंवर सिंह , गोनू झा , राजेंद्र प्रसाद , श्री कृष्णा सिंह , जयप्रकाश नारायण ,स्वामी सहजनांद सरस्वती, रामवृक्ष बेनीपुरी ,राधानंदन झा, रामधारी सिंह दिनकर, विद्यापति, देवकी नंदन खत्री , MJ  अकबर, रविश कुमार, बिधान चंद्र रॉय, बिस्मिल्लाह ख़ान, आचार्य शिवपूजन सहाय, जानकी बल्लभ शास्त्री, शारदा सिन्हा, अशोक कुमार , तपन सिन्हा , सर अनिरूद्ध जगन्नाथ, सिऊसागर रामगुलाम (मारीशश के प्रधानमंत्री ), गिरिजा प्रसाद कोइराला (नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ) जगजीवन राम, प्रीतिश नंदी, प्रकाश झा, दलेर मेहंदी, मीका सिंह, उदित नारायण !

ये सिर्फ़ चंद नाम हैं , ऐसे ही लाखों बेटे बेटियाँ हैं मेरे जिनपर मुझे और पूरी दुनिया को गर्व है ! मेरे मिट्टी मे पूरे दुनिया को सत्य और अहिंसा मे मार्ग पर चलाने और चलाने वाले जन्म लिए तो दुनिया को एक आदर्श राष्ट्र का स्वरूप देने वाला भी जन्मा, गुलामी की ज़ंजीरों को तोड़ने वाले भी जन्मे तो संगीत से दुनिया को मो लेने वाले भी जन्मे, ख़तरे मे पड़े लोकतंत्र को बचाने वाले भी जन्मे, अच्छे पत्रकार भी !


इसलिए हे मूर्ख पुत्रों वोट के लालच मे मुझे बदनाम मत करो ! आप लोगों से हाथ जोड़कर निवेदन है !

बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

भगत सिंह को इंसाफ़ मिलेगा

23 मार्च 1931 को लाहोर मे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु को फाँसी दी गयी थी ! और आज 85 बरस बाद उसी लाहोर मे यह कहानी अचानक फिर से उभर कर आती है कि भगत सिंह दोषी थे या निर्दोष !

जिस तरह की मीडीया रिपोर्ट्स सामने आई हैं उनसे तो यह संदेह उभर ही जाता है कि फनस्ी ग़लत तरीके से , ग़लत व्यक्ति के द्वारा दी गयी ! पाकिस्तान की भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन द्वारा एक याचिका दायर की गई थी कि जिस मुक़दमे मे उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई  गयी थी उसकी FIR की कॉपी उन्हें दी जाए ! यह याचिका  इम्तियाज़ रशीद कुरेशी फाउनडिंग चेयरमैन  भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन द्वारा दाखिल की गयी थी , जिसमे उन्होने दलील दी थी कि शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ये तीनों ही अविभाजित भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे थे , उन्हें ग़लत तरीके से फाँसी दी गयी थी, भगत सिंह को अपना पक्ष भी नहीं रखने दिया गया था , इसलिए इस केस की फिर से सुवाई की जाए , इसके अलावा यह राष्ट्रीय सम्मान का भी मामला है क्योंकि जिन्ना ने भी उन्हे दो बार श्रद्धांजलि अर्पित की थी !

मीडीया रिपोर्ट्स के मुताबिक इम्तियाज़ रशीद कुरैशी ने यह भी दलील दी कि सरदार भगत सिंह के केस की सुनवाई उस समय जिस ट्रिब्यूनल ने की थी , उसका गठन को ब्रिटिश पार्लियामेंट ने मंज़ूरी नही दी थी जिसकी वजह से वह ट्रिब्यूनल असंवैधानिक हो गयी थी ! उनके डेथ वारंट की तारीख भी एक्स्पायर हो चुकी थी , बाद मे जिस रजिस्ट्रार ने नया डेथ वारंट जारी किया था , वह सक्षम अधिकारी नहीं था , और सबसे बड़ी बात कि जिस पुलिस अधिकारी सानड़र्स की हत्या के जुर्म मे उन तीनों को फाँसी दी गयी थी उसकी FIR मे सरदार भगत सिंह का नाम ही नहीं था !


तो कैसे .. कैसे दुनिया के इतने बड़े बैरिस्टर जवाहर लाल नेहरू और मोहनदास करमचंद गाँधी  इन बारीकियों को समझ नही पाए ! केस की सुनवाई के दौरान इन मुद्दों को नहीं उठाया ! मुझे तो शक है कि कहीं सुभाष चंद्र बोस से पहले सरदार भगत सिंह भी तो किसी षड्यंत्र का शिकार तो नहीं हो गये ! हो जो भी देखना रोचक होगा की पाकिस्तान की अदालत क्या 85 बरस बाद भी उन सिपाहियों को न्याय दिला पाती है ! यदि हाँ .... तो कई संभ्रांत चेहरों के पीछे छिपी कालिख उजागर हो जाएगी !