मंगलवार, 4 अगस्त 2015

कहीं यह सब "भाई" के इशारे पर तो नहीं

पिछले जिन चार दिनों से भारतीय मीडीया मे राष्ट्र हित की खबरें दबा दी गई, अन्य अंतरराष्ट्रीय खबरों को भी छोड़ दिया गया ! 24 घंटे बस याक़ूब .... याक़ूब  ......... और ...........याक़ूब

जो घटनाक्रम चल रहा है याक़ूब मेमन के मामले मे उसे देख और समझ कर तो ऐसा आभास हो रहा है की कहीं ये जो विदेशी पैसों के बाल पर नाचने वाली मीडीया चाहे वह प्रिंट हो या डिजिटल , कुछ एक पत्रकार जिस तरीके से नाइंसाफी की बीन बजा रही है, मुझे तो शक है कि ये सब के सब बिके हुए है ! इनके विदेशी आकाओं की तिजोरियों मे “भाई” ने नोटों के बंडल ठूंस दिए होंगे ! कहीं "भाई" इन बिके हुए और गिरे हुए बेगैरत मीडीया के मध्यम से दबाव तो नही डालना चाहती थी हमारी न्यायिक व्यवस्था पर !

उन न्याय के दलालों को तो देखिए जितनी काली कोट है उतना ही काला मन , और उस मन मे भर भर कर लालच !

मुझे याद नहीं कि जितनी एड़ी चोटी का ज़ोर इन दलालों (माफ़ कीजिएगा मेरा मन इनके प्रति बहुत ही खिन्न है, इसलिए वकील नही लिख सकूँगा) चाहे वो मीडीया हो या ये काली कोट वाले ,सलमान और याक़ूब मेमन के मामले मे लगाए , कभी किसी अन्य जो वास्तव मे निर्दोष रहा हो उसके लिए किया हो !

इनके गिरे हुए स्तर को आप सिर्फ़ इस बात से अनुमान लगा सकते हैं , एक भूतपूर्व एवं अभूतपूर्व राष्ट्रपति के उपर तरजीह देते हुए याक़ूब के शहीद होने की खबर सुबह से शाम तक चलाते रहे !

एक प्रेरक प्रसंग

एक जौहरी के निधन के बाद उसका परिवार संकट मे पड़ गया !
खाने के भी लाले पड़ गये!
एक दिन उसकी पत्नी ने अपने बेटे को नीलम का एक हार देकर कहा :
"बेटा, इसे अपने चाचा की दुकान पर ले जाओ" और कहना इसे बेचकर कुछ रुपये दे दें !
बेटा हार लेकर चाचा जी के पास गया !
चाचा ने हार को अच्छी तरह देख परखकर कहा - बेटा माँ से कहना कि अभी बाज़ार मंदा है, तोड़ा रुककर बेचना , अच्छे दाम मिलेंगे !
उसे थोड़े से रुपये देकर कहा कि कल से तुम कल से दुकान पर बैठना !
अगले दिन से वह लड़का रोज दुकान पर जाने लगा और वहाँ हीरों रत्नों की परख का काम सीखने लगा !
एक दिन वह बड़ा परखी बन गया ! लोग दूर दूर से अपने हीरे और रत्नों की परख कराने आने लगे !
एक दिन उसके चाचा ने कहा, बेटा अपनी माँ से बह हार लेकर आना और कहना की अब बाज़ार मे बहुत तेज है, अच्छे दाम मिल जाएँगे !
घर आकर मा से हार लेकर उसने परखा तो पाया कि वह तो नकली है ! वह उसे घर पर ही छोड़कर दुकान लौट आया !
चाचा ने पूछा , हार नही लाए ?
उसने कहा, वह तो नकली था !
तब चाचा ने कहा - जब तुम पहली बार हार लेकर आए थे , तब मैं उसे नकली बता देता तो तुम सोचते की आज हम पर बुरा वक़्त आया तो चाचा हमारी चीज़ को भी नक़ली बताने लगे ! आज जब तुम्हें खुद ज्ञान हो गया तो पता चला की हार सचमुच नक़ली है !