मंगलवार, 4 अगस्त 2015

एक प्रेरक प्रसंग

एक जौहरी के निधन के बाद उसका परिवार संकट मे पड़ गया !
खाने के भी लाले पड़ गये!
एक दिन उसकी पत्नी ने अपने बेटे को नीलम का एक हार देकर कहा :
"बेटा, इसे अपने चाचा की दुकान पर ले जाओ" और कहना इसे बेचकर कुछ रुपये दे दें !
बेटा हार लेकर चाचा जी के पास गया !
चाचा ने हार को अच्छी तरह देख परखकर कहा - बेटा माँ से कहना कि अभी बाज़ार मंदा है, तोड़ा रुककर बेचना , अच्छे दाम मिलेंगे !
उसे थोड़े से रुपये देकर कहा कि कल से तुम कल से दुकान पर बैठना !
अगले दिन से वह लड़का रोज दुकान पर जाने लगा और वहाँ हीरों रत्नों की परख का काम सीखने लगा !
एक दिन वह बड़ा परखी बन गया ! लोग दूर दूर से अपने हीरे और रत्नों की परख कराने आने लगे !
एक दिन उसके चाचा ने कहा, बेटा अपनी माँ से बह हार लेकर आना और कहना की अब बाज़ार मे बहुत तेज है, अच्छे दाम मिल जाएँगे !
घर आकर मा से हार लेकर उसने परखा तो पाया कि वह तो नकली है ! वह उसे घर पर ही छोड़कर दुकान लौट आया !
चाचा ने पूछा , हार नही लाए ?
उसने कहा, वह तो नकली था !
तब चाचा ने कहा - जब तुम पहली बार हार लेकर आए थे , तब मैं उसे नकली बता देता तो तुम सोचते की आज हम पर बुरा वक़्त आया तो चाचा हमारी चीज़ को भी नक़ली बताने लगे ! आज जब तुम्हें खुद ज्ञान हो गया तो पता चला की हार सचमुच नक़ली है !

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