14 जनवरी को पंजाब
मे माघी मेला
मुक्तसर मे दिल्ली
के मुख्यमंत्री अरविंद
केजरीवाल एक चुनावी
सभा को संबोधित
कर रहे थे
! केजरीवाल ने क्या
कुछ कहा , देखते
हैं आम
आदमी पार्टी के ट्विटर
हैंडल की ज़ुबानी
:
अज्ञात स्रोत से 1 करोड़
के
चंदे
की
जानकारी
सभी
को
है
, तथा
दिल्ली
मे
526 करोड़
के
प्रचार
बजट
को
भी
सब
जानते
हैं
! यह
भी
जानते
हैं
कि
दिल्ली
सरकार
के
विज्ञापन
के
अधिकार
मनीष
सिसोदिया
के
करीबियों
को
दिया
गया
था
!
लोग यह भी
जानते
हैं
कि
दोनो
हाथ
जोड़कर
नितिन
गडकरी
से
माँफी
माँगी
थी
!
जिन लोगों को
यह
दिव्य
ज्ञान
आप
दे
रहे
थे
, 2 दिन
पहले
उन्हीं
पर
यह
तोहमत
लगाई
थी
कि
पंजाबी
लोग
अपने
लड़के
और
लकड़ियों
मे
भेद
भाव
करते
हैं
!
ऐसा भी तो
हो
सकता
है
कि
सत्ता
के
लालच
मे
नेताओं
ने
ही
ये
कर्म-कांड
किए
हों
! ताकि लोगों की
भावनाओं
को
खुरचा
जाए
और
फिर
सरकार
के
उपर
लांछन
लगाकर
अपना
उल्लू
सीधा
कर
लिया
जाय
!
यही डॉयलॉग आपने
शीला
दीक्षित
जी
के
लिए
भी
इस्तेमाल
किया
था
! परिणाम
क्या
हुआ
, आप
मुख्यमंत्री
बने
और
शीला
जी
राज्यपाल
! हिसाब
बराबर
!!!
ये वही रिश्ता
है
जो
केजरीवाल
और
लालू
प्रसाद
यादव
के
बीच
है
!
यह क्यों मान
लें
, शहीद
मोहन
चंद
शर्मा
को
आपलोगों
ने
ही
अपराधी
घोषित
किया
था
, और
बतला
हाउस
कांड
मे
मारे
गये
आतंकवादियों
के
प्रति
अपनी
सच्ची
श्रद्धा
व्यक्त
की
थी
! बात
यहीं
रुक
जाती
तो
शायद
यह
मान
लेते
कि
एकाध
ग़लती
तो
हो
ही
जाती
है
लेकिन
जब
आपने इशरत जहाँ जैसे फिदायीन आतंकवादी को भी विक्टिम कह दिया सिर्फ़ इसलिए की कुछ मुस्लिमों
का वोट आपको मिल जाएगा ! तो वहाँ पर तो फिर....
गजेंद्र ने आपकी
सभा
के
सामने
ही
आत्महत्या
की
थी
, आप
लोगों
ने
सिर्फ़
उसका
तमाशा
बनाया
! मैं
यह
तो
नहीं
जानता
कि
उसमे
आपकी
कोई
शाजिश
थी
या
नहीं
, लेकिन
लापरवाही
ज़रूर
थी
! और
जिस
मुआवज़े
की
बात
कर
रहे
हैं
दिल्ली
मे
किसानो
को
तो उसकी भी हक़ीक़त सब जानते हैं , लोगों को
पोस्ट डेटेड चेक़ दिया गया था !
प्याज घोटाला , विज्ञानपन
प्रसारण, चीनी घोटाला , आटो
परमिट
घोटाला
यह
सब
खेल
खेल
मे
ऐसे
ही
हो
गया
!
और अंत मे
: जिस
किसी
को अब भी लगता
है
केजरीवाल
सादगी
से
काम
कर
रहे
हैं
तो
यह
देखिए
शायद
अभी
बढ़ी
हुई
तनख़्वाह
मे
जुगारा
मुश्किल
है
: