गुरुवार, 14 जनवरी 2016

पंजाब का उद्धार केजरी करेंगे ?

 14 जनवरी को पंजाब मे माघी मेला मुक्तसर मे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे ! केजरीवाल ने क्या कुछ कहा , देखते हैं  आम आदमी पार्टी  के ट्विटर हैंडल की ज़ुबानी :


अज्ञात  स्रोत से 1 करोड़ के चंदे की जानकारी सभी को है , तथा दिल्ली मे 526 करोड़ के प्रचार बजट को भी सब जानते हैं ! यह भी जानते हैं कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन के अधिकार मनीष सिसोदिया के करीबियों को दिया गया था !



लोग यह भी जानते हैं कि दोनो हाथ जोड़कर नितिन गडकरी से माँफी माँगी थी !



जिन लोगों को यह दिव्य ज्ञान आप दे रहे थे , 2 दिन पहले उन्हीं पर यह तोहमत लगाई थी कि पंजाबी लोग अपने लड़के और लकड़ियों मे भेद भाव करते हैं !




 यही बात आपने दिल्ली मे भी कही थी , जब चुनाव शीला दीक्षित के खिलाफ लड़ रहे थे , बाद मे उन्हीं के भ्रष्ट करीबी अधिकारियों को बचाने मे जुट गये !



 जब खुद ही इतने गुंडे और बआउन्सर पाल रखे हैं तो किसी से क्यों डरना ! याद ना हो तो तालकटोरा स्टेडियम की घटना याद कर लीजिए जहाँ पर आई लड़कियों के साथ बदतमीज़ी करते हुए कैमरे के सामने पकड़े गये थे ! और यदि इससे भी विश्वास ना हो तो उस सम्मेलन को याद कर लीजिए जिसमे प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव तथा पंकज पुष्कर आदि को घसीट कर बाहर निकाल दिया गया था !



 खुद के मंत्री तक को तो कुछ सीखा नहीं पाए जिसमे अपनी पत्नी को कुत्ते से कटवाए , और उस पर हुई कार्यवाही को यह कहकर खारिज कर देना कि मोदी की पुलिस उनके विधायकों की जाँच बड़ी तीव्रता के क्यों करना चाह रही है !



 आपके घर के सामने दिल्ली के स्कूलों के शिक्षक अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से जब प्रदर्शन कर रहे थे तो आपने उन्हें अपनी पलकों पर नहीं बिठाया था !


ऐसा भी तो हो सकता है कि सत्ता के लालच मे नेताओं ने ही ये कर्म-कांड किए होंताकि लोगों की भावनाओं को खुरचा जाए और फिर सरकार के उपर लांछन लगाकर अपना उल्लू सीधा कर लिया जाय !

यही डॉयलॉग आपने शीला दीक्षित जी के लिए भी इस्तेमाल किया था ! परिणाम क्या हुआ , आप मुख्यमंत्री बने और शीला जी राज्यपाल ! हिसाब बराबर !!!


ये वही रिश्ता है जो केजरीवाल और लालू प्रसाद यादव के बीच है !


यह क्यों मान लें , शहीद मोहन चंद शर्मा को आपलोगों ने ही अपराधी घोषित किया था , और बतला हाउस कांड मे मारे गये आतंकवादियों के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा व्यक्त की थी ! बात यहीं रुक जाती तो शायद यह मान लेते कि एकाध ग़लती तो हो ही जाती है लेकिन जब आपने इशरत जहाँ जैसे फिदायीन आतंकवादी को भी विक्टिम कह दिया सिर्फ़ इसलिए की कुछ मुस्लिमों का वोट आपको मिल जाएगा ! तो वहाँ पर तो फिर....

गजेंद्र ने आपकी सभा के सामने ही आत्महत्या की थी , आप लोगों ने सिर्फ़ उसका तमाशा बनाया ! मैं यह तो नहीं जानता कि उसमे आपकी कोई शाजिश थी या नहीं , लेकिन लापरवाही ज़रूर थी ! और जिस मुआवज़े की बात कर रहे हैं दिल्ली मे किसानो को  तो उसकी भी हक़ीक़त सब जानते हैं , लोगों को पोस्ट डेटेड चेक़ दिया गया था !


प्याज घोटाला , विज्ञानपन प्रसारणचीनी घोटाला , आटो परमिट घोटाला यह सब खेल खेल मे ऐसे ही हो गया !

और अंत मे : जिस किसी को  अब भी लगता है केजरीवाल सादगी से काम कर रहे हैं तो यह देखिए शायद अभी बढ़ी हुई तनख़्वाह मे जुगारा मुश्किल है :



शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

वर्ष 2015 : यू - टर्न वाला वर्ष

वर्ष 2015 को भारत मे यू टर्न्स का वर्ष भी कह सकते हैं ! क्योंकि इस वर्ष मे देश की जनता से लेकर नेता तक सब के सब ने यू टर्न लिया यहाँ तक कि कुदरत ने भी ! सिलसिलेवार समझते हैं इसको कि किस किसने लिया यू टर्न :

  1. संघ और भाजपा ने उन तमाम मुद्दों पर यू टर्न लिया जिन पर इन दोनो की आधारशिला रखी गयी थी ! जम्मू कश्मीर मे धारा 370, कामन सिविल कोड, एक देश, एक निशान और एक विधान, भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेन्स के बावजूद जेटली का बचाव और कीर्ति आज़ाद का सस्पेन्सन, 6 महीने के भीतर वाड्रा का जेल जाना (हरियाणा चुनाव के वक्त) , महँगाई को काबू मे करना , किसानों की ख़ुदकुशी को रोकना , अयोध्या मे श्री राम मंदिर को बनवाना, पाकिस्तान की ईंट से ईंट बजाना ,
  2. श्री मोहन भागवत जी का आरक्षण को सुगम और पारदर्शी बनाना , श्री राम मंदिर का निर्माण
  3. बिहार की जनता का उसी 90 की दसक मे लौट जाना जो "जंगलराज" के नाम से कुख्यात था !
  4. श्री लालू प्रसाद यादव जो जंगलराज और भ्रष्टाचार के प्रतीक थे , उनके द्वारा नीतीश कुमार जो कि सुशासन के प्रतीक थे, को यह निर्देश देना कि राज्य मे बढ़ रहे "जंगलराज" को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएँ, इसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ! और नीतीश कुमार जी जो कि कभी जंगलराज के नाम पर लालू प्रसाद को घेरते थे , अब उस बात पर भी उनकी बोलती बंद है "जिन लोगों ने मेरे शासन को बदनाम करने की कोशिश की थी, वे लोग ही आज फिर सक्रिय हो उठे हैं" ! अर्थात सीधे सीधे नीतीश कुमार पर यह आरोप लगाया कि मुझे , मेरे वक़्त मे इन्हीं लोगों ने बदनाम किया था !
  5. श्री अरविंद केजरीवाल जी, जो कि शुरू से ही यू टर्न लेते जा रहे थे , इस वर्ष भी इस कला के प्रदर्शन को जारी रखा ! चाहे भ्रष्टाचार (प्रतीकात्मक रूप लालू प्रसाद) को गले लगाना हो, या फिर विशेष सत्र बुलाकर इस कला को जस्टिफाइ करना हो , कभी मनमोहन सरकार के दौरान सांसदों के वेतन वृद्धि पर बने आम सहमति पर प्रश्न चिन्ह लगाने के बाद उस पर यू टर्न लेकर अप्रत्याशित रूप से 400% खुद के वेतन मे वृद्धि करना और उसको भी भ्रष्टाचार निरोधक दवा के रूप मे सही ठहराना ! CBI की स्वतंत्रता की वकालत करने से लेकर उनकी कार्यवाही पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करना कि मेरे सेक्रेटरी पर रेड डालने से पहले मुझसे अनुमति लेनी चाहिए थी, या फिर अपनी ईमानदारी के शोर तले ऑटो परमिट का अरबों रुपयों के संभावित घोटालों मे मंत्री गोपाल राय को बचाना !
  6. मुलायम सिंह यादव भी अपने ही बनाए जाल (महा गठबंधन) से निकार कर भाग खड़ा होना , समाजवादी के चोले में ऐसे धन पीपासु जीव निकले कि जिस राज्य की जनता घास की रोटी खाने को मजबूर हो (बुंदेलखंड के लोग) वहाँ के मुख्यमंत्री सैफई महोत्सव के नाम पर जनता का करोड़ों रुपये फूकना
  7. लोकसभा चुनाव हारने के बाद कॉंग्रेस ने कहा था कि हम देश के जनादेश का सम्मान करते हैं और उनके इस निर्णय को शिरोधार्य करते हैं, इसके बावजूद जनादेश का अपमान किया , संसद को बाधित किया ! अपने आपको देश की आज़ादी के लिए लड़ने वालों की पार्टी बताने वाले ही विदेशों मे जाकर वहाँ यह कहते हैं कि आप देश की वर्तमान सरकार को गिराईए और हमे ले आइए , खुद इस मुद्दे को 62 वर्षों तक संजोए रहे और अब कह रहे हैं कि हम आपसे बेहतर संबंध बनाएँगे ! ग़रीबों की हितैषी होने का ढोंग करने वाले खुद का इलाज कराने भी चुपके से विदेश जाते हैं और युवराज जी भी जो कि अब तक सिर्फ़ गुप्त यात्राएँ ही करते थे , अब यह बताने से संकोच भी नही करते कि नाव वर्ष की खुशियाँ मनाने यूरोप जा रहे हैं ! संविधान और न्यायपालिका को सर्वोपरि मानने वाले कोर्ट के एक नोटिस पर पूरे देश मे बवाल काटते हैं ! जिसने बिल फाड़कर लालू को संसद जाने से रोका उन्होंने ही खुद लालू से हाथ मिलाया !
  8. इन सब को देखकर कुदरत ने भी यू टर्न ले लिया और सर्दियों मे भी गर्मी का अहसास करा रहे हैं ! दिसंबर मे जो ठंढ पड़नी चाहिए थी वैसी पड़ी नहीं ! 15 दिसंबर के बाद सर्दियों का अहसास भी हुआ तो सिर्फ़ 14 दिनों के लिए ! नेताओं द्वारा लिया गया यू टर्न शायद उतना प्रभाव ना डाले हमारे जीवन को, जितना की कुदरत का ! पिछले कुछ वर्षों से बारिस भी ठीक से नही हो रही, और अब यदि सर्दियाँ भी गायब हो जाएँगी तो वर्ष भर गर्मी का मौसम ना तो देशवासी  झेल सकते हैं और ना ही देश की धरती ! पानी हमारी आखों का भी सूख रहा है और नदियों का भी ! स्तर हमारा और हमारे समाज का भी गिर रहा है भू-जल का भी !


नववर्ष 2016 से आशाएँ तो बहुत है मगर मेरी सिर्फ़ एक ही कामना है पानी हमारे आँखों का मरना नही चाहिए ! पूरे दिल से स्वागत है