गुरुवार, 30 जुलाई 2015

मोदी से तो अच्छे मनमोहन थे - रॉबर्ट वाड्रा

अभी कल रॉबर्ट वाड्रा उर्फ पप्पू जी के जीजा जी ने अपने फेस (असली चेहरा नही) बुक पर मोदी सरकार के खिलाफ कुछ टिप्पणी कर दी थी। टिप्पणी से ऐसा लग रहा था कि वे ख़ासे नाराज़ हैं मोदी सरकार और उनके दो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और वसुंधरा राजे सिंधिया से। नाराज़ हों भी क्यों ना , अघोषित रूप से राष्ट्र माता जी के राष्ट्रीय दामाद जो ठहरे। उनको लगता है कि अगर उनके साले जी प्रधानमंत्री बनते तो मोदी जी से कहीं बेहतर साबित होते !

होते भी क्यों नही! ये कोई जाँच करने का विषय है, अरे थोड़ा पैसा ही तो कमाया था। इसमे वसुंधरा और खट्टर जी का क्या गया था जो चले गये कमिशन का गठन करने और ज़मीन के लेन-देन की जाँच करने। अरे कोई हरियाणा और राजस्थान पाकिस्तान को थोड़ी ही बेच दिया था। अरे सोलर एनर्जी के लिए ही तो इस्तेमाल किया था। उससे हरियाणा और राजस्थान का फ़ायदा था, उन्हीं को बिजली मिलती। और जो थोड़ी सी बेच दी थी वो तो ... वो तो DLF को ही बेची थी, बेचारी भी तो बेघरों को आशियाना देती है, जैसा कि HUDA करती है। बताओ... मुझे तो फंसाया ही, जिन अधिकारियों ने मेरा काम किया उनको भी लपेटे मे ले लिया। ये कोई सरकार है भला!

मोदी से भले पप्पू कैसे ?
आख़िर जब सासू माता जी के स्वामी भक्त मनमोहन जी, अशोक गहलौत और हुडा जी उनकी दृष्टि का सम्मान करते थे तो आख़िर पप्पू जी तो साले हैं ! वो कहावत तो सुनी ही होगी ना “सारी खुदाई एक तरफ और जोरू का भाई एक तरफ"। हुड्डा और गहलौत ने तो सिर्फ़ राजस्थान और हरियाणा मे ही किसानो की ज़मीन छीन कर दे दी थी, अब सोचो अगर साले जी प्रधानमंत्री बनते तो पूरे देश मे अघोषित और अलिखित सूचना भिजवा दी जाती कि जहाँ-जहाँ भी पप्पू जी के जीजा जी की दृष्टि पड़ेगी वह स्थान स्काइ लाइट को फ्री मे बेच दी जाएगी।

ऐसे मे हम क्या करतेसिर्फ़ सूर्य देवता से विनती करते कि हमारे खेतों मे प्रकाश मत भेजना, अरे नहीं तो उसकी वक्र दृष्टि पड़ जाएगी।