शनिवार, 23 मई 2015

राहुल! बेटा कच्चे हो अभी तुम

करीब छह माह बाद अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी पंहुचे राहुल गाँधी ने के एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं पर तंज़ कसा । उन्होने शिकायती स्वर मे कहा कि दुनिया घूम रहे प्रधानमंत्री किसानों से से मिलने क्यों नही जाते? पहली बात तो यह कि मोदी जी विदेश मे किसी सैर सपाटा के लिए नही जाते । वे देश के हितों के लिए ही विदेश यात्राएँ कर रहे है ठीक वैसे ही जैसे मनमोहन सिंह जी या दूसरे प्रधानमंत्री करते हैं। और जहाँ तक किसानों से मिलकर उनकी समस्या हल करने की बात है तो राहुल ही बताएँ की किसानों से मिलकर उनका कितना भला कर दिया । या उनकी 10 वर्षों तक रही सरकार ने किसानो के लिए ऐसा क्या कर दिया कि उन्हें आत्म हत्या करने से नही रोक पाए । वह तो उन किसानो या ग़रीबो का भी भला नही कर पाए जिनके घर जाकर खाना खाया था।

राहुल गाँधी मोदी जी की विदेश यात्राओं पर तंज़ कस रहे हैं , उन्हें और उनकी टीम को पता होना चाहिए कि मनमोहन सिंह जी भी अपने दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष मे 47 दिनों तक विदेश मे थे और मोदी जी 53 दिन तक। और इस ब्लॉग जगत मे भी कई बुद्धिजीवी मोदी जी की यात्राओं पर तिरछी निगाहें रख रहे हैं। तो क्या यह सब लोग मिलकर यह कहना चाहते हैं कि मोदी द्वारा की गई 53 दिन की यात्रा ग़लत है और मनमोहन सिंह द्वारा की गई 47 दिनों की यात्रा सर्वथा सही।

क्या इन सब को कोई क़ायदे की बात नही सूझ रहा? राहुल भैया को यह भी नही भूलना चाहिए कि हाल मे ही 59 दिनों तक वो लापता रहे हैं , वे कहाँ गये थे क्यों गये थे, ये उसी प्रकार का रहस्य बना हुआ है जैसे बोस जी की मृत्यु। राहुल गाँधी की बचकानी हरकत के अलावा कुछ भी नही। नि: संदेह भारतीय राजनीतिक दल एक दूसरे के खिलाफ कुछ भी बोलने को स्वतंत्र है , लेकिन इसका मतलब यह नही की हल्की और बेमतलब की बातें की जाय।

आख़िर ऐसा भी तो नही है की ये शिकायत आ रही हो कि मोदी जी की यात्राओं की वजह से कोई काम अटका हो या कोई फाइल अटकी हो और ज़रूरी कामों का निपटारा नही हो पा रहा हो । या कोई नये प्रकार का जयंती टैक्स की वजह से कोई समस्या आ रही हो। कहीं ये कॉंग्रेस की खिसियाहट का कारण यह तो नही की नरेंद्र मोदी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान देश और दुनिया का ध्यान कहीं अधिक खींच रहे हों।

राहुल ने अमेठी मे एक और मुद्दा फुड पार्क का उठाया था जो उन्ही के वजह से शुरू नही हो पाया था। मनमोहन सिंह के समय उस पार्क का उद्घाटन स्वयं राहुल ने ही किया था, लेकिन इसके बाद भी वह भूल गये की इस पार्क की स्थापना मे देरी क्यों हुई। इस पर ग़लत बयानी के लिए कॉंग्रेस को ही शर्मिंदा होना पड़ा। लेकिन लगता है कि राहुल को अभी भी यह समझ मे आ रहा की फुड पार्क के शुरू ना होने के लिए कोई अगर ज़िम्मेदार है तो वह है राहुल गाँधी खुद। जबकि मनमोहन सिंह सरकार ने ही इस पार्क के लिए आवश्यक व्यवस्था करने से इनकार कर दिया था, तब राहुल कहाँ थे और मौन क्यों थे।

मैं तो समझ रहा था की 59 दिन के पश्चाताप के बाद राहुल मे कुछ सुधार होगा लेकिन वो तो कौवा बन कर लौटे, 2 चीज़ों की रट लगा रखी है कि मोदी सरकार कुछ उद्योगपतियों की सरकार है और दूसरा सूट बूट की सरकार।

सोमवार, 4 मई 2015

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