शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016

"अभिव्यक्ति की आज़ादी" पर रविश कुमार का दोहरा चरित्र

रविश कुमार जी, ग़ज़ब की काबिलियत है आपकी ! दूसरो को खूब बेवकूफ़ बनाते हो ! दरअसल ये समस्या सिर्फ़ आपकी ही नहीं बल्कि उस पूरे जमात की ही है जो "अभिव्यक्ति की आज़ादी" का भौंदा नारा लगते हैं ! आप लोग अपने इस नारे की आड़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ दूसरों को गली देने का काम करते हो ! जब भी कोई आपको उत्तर देना चाहेगा , कन्नी काट जाते हो, उसकी बात ही नहीं सुनना चाहते ! जो आप से , आपकी बातों से या आपके विचारों से सहमत नहीं है उन  सभी के बारे मे आप और आपके गैंग की सिर्फ़ एक ही सोच है कि "ये संघी हैं, भक्त है" आदि आदि ! ये बातें मैं इसलिए नहीं लिख रहा कि किसी ने मुझसे कुछ बताया है, बल्कि इसलिए लिख रहा हूँ कि यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है ! कुछ दिनो से आपके ब्लॉग नई सड़क पर जब भी कोई टिप्पणी करना चाहता हूँ तो एक सूचना दिखाई देती है "आपकी टिप्पणी को प्रकाशित नहीं कर सकते , क्योंकि आपको प्रतिबंधित कर दिया गया है टीम नई सड़क द्वारा"
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मुझे खूब याद है कि कभी भी मैने कोई ऐसे शब्द नहीं लिखे टिप्पणी मे जो अवांछित हो, अनर्गल हो ! बस आपके विचारों के पटापेक्ष मे अपने विचार ही लिखे हैं ! याद आता है कि जब आपने एम जे अकबर के मंत्री बन जाने पर आपने उनको एक खुला पत्र उन्हे लिखा था तो उसे लेख पर मैने भी आपसे कुछ सवाल पूछे थे मसलन जैसे कि अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील मे जिन पत्रकारों के नाम आए उनको आपने कब चिट्ठी लिखी, जिस पत्रकार का नाम नीरा रादिया टेप मे आया था उनको आपने कब चिट्ठि लिखी, जिन पत्रकारों को विजय मलया ने ललकारा कि मेरे ही पैसों पर मौज करने वाले पत्रकार मेरा ही अपने स्टूडियो मे एनकाउंटर कर रहे हैं तो उन पत्रकारों को आपने कब चिट्ठी लिखी, शायद आप उसी उत्तर से चिढ़ गये ! तो मेरा आपने अनुरोध है कि कृपया यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के ढोंग वाला चोला उतार फेंको

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